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Darood Sharif

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  Darood Sharif/दरूद शरीफ़   प्यारे नबी मुहम्मद सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया"जो मुझ पर एक मर्तबा दरूद भेजता है, उस पर अल्लाह और उसके फरिश्ते सत्तर रहमते भेजते है। नबी ने फरमाया जो ज्यादा से ज्यादा दरूद भेजता है,अल्लाह रब्बुल आलामीन उसे सभी रंज और गम से दूर करता है। सबसे अफजल दरूद शरीफ़ वैसे तो दरूद शरीफ़ गिनती में बेशुमार है, लेकिन सबसे अफजल दरूदे इब्राहिम जो नमाज में पढ़ी जाती है उसे मना जाता है।आज हम दरूदे इब्राहिम को सभी जबानो में आपके सामने पेश कर रहे है।आप हजरात जिस जबान में चाहे इसको याद कर सकते है। Darood Sharif/दरूद इब्राहिम हिंदी मे  तर्जुमा(अर्थ) ऐ अल्लाह हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर और उनकी आल (परिवार) पर खास रहमत फरमा,जैसे तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और उनकी आल पर रहमत की, तू बड़ी तारीफ वाला बुजुर्गी वाला है। ऐ अल्लाह हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर और उनकी आल पर बरकते नाजिल फरमा जैसे तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और उनकी आल पर बरकते नाजिल की, तू बड़ी तारीफों वाला और बुजुर्गी वाला है । Darood Sharif/दरूद इब्राहिम अरबी में اللَّٰهُ

Azan Ke Baad Ki Dua

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Azan Ke Baad Ki Dua जैसा की आप सब लोग जानते है कि, नमाज़ के ठीक पहले अज़ान पढ़ी जाती है।यह मुसलमान भाइयों को नमाज़ पढ़ने की दावत देने का एक तरीका है। अज़ान के ठीक बाद एक दुआ पढ़ी जाती है,जो कि हर मुसलमान को याद होना जरूरी है।आज हम इस दुआ को तमाम जुबानो में पेश कर रहे है।अपनी सहूलियत के हिसाब से आप हजरात इसको याद कर सकते है। अज़ान के बाद की दुआ हिंदी में/Azan Ke Baad Ki Dua Hindi mein  अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती मुहम्मदानिल वसिलता वल फ़ज़ीलता वद्दरजतल रफ़ीअता वब’असहू मक़ामम महमूदा निल्ल्जी व्’अत्तहू वर ज़ुक्ना शफ़ाअतहु यौमल क़ियामती इन्नका ला तुखलिफुल मियाद। दुआ का तर्जुमा (अर्थ) ए अल्लाह ! ए परवरदिगार इस पूरी पुकार और कायम होने वाली नमाज़ के रब हज़रत मुहम्मद स.अ. को वसीला और फ़ज़ीलत और बुलंद दर्ज़ा अता फरमा और उनको मक़ामे महमूद में खड़ा कर जिसका तूने उनसे वादा किया और हमें कयामत के दिन उनकी शफाअत से बहरामंद कर। बेशक तू वादा खिलाफी नहीं करता। अज़ान के बाद की दुआ अरबी में/Azan Ke Baad Ki Dua Arbi mein  अज़ान के बाद की दुआ उर्दू में/Azan Ke Baad Ki Dua Urdu m

Namaj

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  Namaj नमाज़ अल्लाह की इबादत और उसकी बन्दगी करने का एक ख़ास तरीका है जो अल्लाह ने क़ुरआन में और हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) ने हदीस में मुसलमानों को सिखाया है। Namaj नमाज़ मुसलमानों में सिर्फ अल्लाह की इबादत और उसी पर ईमान का सबूत है। इसे कुछ मुकर्रर वक्त पे अल्लाह के नबी मोहम्मद (सल्ल0) ने अल्लाह के हुक्म से हर मुसलमान पर फर्ज कर दिया। Musalman namaj kyu padhte hai? ये नमाजें फर्ज हैं और ये इबादत करने वाले बंदे और उसके रब के बीच सीधा सम्बन्ध स्थापित करती हैं। इस्लाम मुसलमानों से केवल इस इबादत को करने का ही आदेश नहीं देता बल्कि यह उनसे चाहता है कि वह अपने दिलों को पाक करें अल्लाह तआला नमाजों के बारे में बयान करते है कि: (ऐ रसूल) जो किताब तुम पर नाज़िल की गयी है उसकी तिलावत करो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो बेशक नमाज़ बेहयाई और बुरे कामों से बाज़ रखती है और ख़ुदा की याद यक़ीनी बड़ा मरतबा रखती है और तुम लोग जो कुछ करते हो ख़ुदा उससे वाक़िफ है। अल्लाह ने बंदों को अपनी इबादत करने के लिए पैदा किया है। वह कुरआन में फरमाता हैः मैंने तो जिन्‍नों और इंसानों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करे