Namaj

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नमाज़ अल्लाह की इबादत और उसकी बन्दगी करने का एक ख़ास तरीका है जो अल्लाह ने क़ुरआन में और हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) ने हदीस में मुसलमानों को सिखाया है।

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नमाज़ मुसलमानों में सिर्फ अल्लाह की इबादत और उसी पर ईमान का सबूत है। इसे कुछ मुकर्रर वक्त पे अल्लाह के नबी मोहम्मद (सल्ल0) ने अल्लाह के हुक्म से हर मुसलमान पर फर्ज कर दिया।

Musalman namaj kyu padhte hai?

ये नमाजें फर्ज हैं और ये इबादत करने वाले बंदे और उसके रब के बीच सीधा सम्बन्ध स्थापित करती हैं। इस्लाम मुसलमानों से केवल इस इबादत को करने का ही आदेश नहीं देता बल्कि यह उनसे चाहता है कि वह अपने दिलों को पाक करें अल्लाह तआला नमाजों के बारे में बयान करते है कि:
(ऐ रसूल) जो किताब तुम पर नाज़िल की गयी है उसकी तिलावत करो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो बेशक नमाज़ बेहयाई और बुरे कामों से बाज़ रखती है और ख़ुदा की याद यक़ीनी बड़ा मरतबा रखती है और तुम लोग जो कुछ करते हो ख़ुदा उससे वाक़िफ है।

अल्लाह ने बंदों को अपनी इबादत करने के लिए पैदा किया है। वह कुरआन में फरमाता हैः

मैंने तो जिन्‍नों और इंसानों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करें।

(कुरआन, 51:56)

बेशक मैं ही अल्लाह हूँ।मेरे  सिवा कोई माबूद नहीं। इसलिए तुम मेरी बन्दगी करो और मेरी याद के लिए नमाज़ कायम करो।

(कुरआन, 20:14)

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नमाज पढ़ने से ना सिर्फ इंसान को मानसिक सुकून मिला है, बल्कि नमाज पढ़ने से शारीरिक स्वास्थ्य भी मजबूत होता है।

चूँकि नमाज़ एक औपचारिक इबादत है इसलिए यह सभी मुसलमानों के लिए फर्ज है। बन्दे के लिए इसे अनिवार्य करके इस्लाम ने अपने अनुयायियों को अनुशासित किया हैं।ताकि वो बुरे कार्यों से दूर रहे।

नमाज एक मुसलमान को समय का पाबन्द करती है और उसे जीवन के स्वस्थ संचालन का अभ्यस्त बनाती है। ताज़ा पानी से वजू के माध्यम से नमाज़ ताजगी पैदा करने और स्वच्छता देने वाला अभ्यास है। 

Din me kitni bar namaj padhi jati hai?

हर मुसलमान चाहे वह मर्द हो या औरत ,उसे रोजाना पाँच नमाज़े पढ़नी चाहिए।यह पाँच नमाज़े हैं: 

1. फज्र: फज्र की नमाज़ सूरज निकलने से ठीक पहले होती है।

2. जुहर: जुहर की नमाज़ दोपहर बाद उस समय होती है जब सूरज सिर से ढलने लगता है।

3. असर: तीसरी नमाज अस्र उस समय होती है जब चीजो की छाया अपनी लम्बाई की दो गुनी हो जाती है।

4. मगरिब: मग़रिब की नमाज़ सूरज ढलने के तुरन्त बाद पढ़ी जाती है।

5. इशा: पाँचवी या दिन की आखिरी नमाज़ उस समय पढ़ी जाती है जब रात का अधेरा पूरी तरह छा जाता है। यह समय लगभग सूरज ढलने के 90 मिनट बाद शुरू होती है।

उपरोक्त नमाज़ों की प्रकृत्ति, शारीरिक स्थिति और इनमें पढ़ी जाने वाली दुआएँ एक समान होती हैं । लेकिन उनकी रकअतों की संख्या अलग होती है।

जब ईमान वाला नमाज़ पढ़ता है, उस समय वह अपने अल्लाह के बहुत करीब होता है।           

 

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Namaj padhne ke fhayde?

  • नमाज़ी आदमी का बदन और कपड़े पाक और साफ़ सुथरे होते हैं।
  • नमाज़ी आदमी से ख़ुदा राजी और खुश होता है।
  • हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स० नमाजी से राजी और खुश होते हैं।
  • नमाज़ी आदमी ख़ुदा तआला के नजदीक नेक होता है।
  • नमाज़ी आदमी की अच्छे लोग दुनिया में भी इज्जत करते हैं।
  • नमाजी आदमी बहुत से गुनाहों से बच जाता है।


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